श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 18: पाण्डवोंका स्त्रियोंसहित निराश लौटना, कुन्तीसहित गान्धारी और धृतराष्ट्र आदिका मार्गमें गंगातटपर निवास करना  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  15.18.6 
पुत्रैश्वर्यं महदिदमपास्य च महाफलम्।
का नु गच्छेद् वनं दुर्गं पुत्रानुत्सृज्य मूढवत्॥ ६॥
 
 
अनुवाद
कौन स्त्री मूर्ख की तरह पुत्रों के लिए महान् हितकारी इस महान् धन को त्यागकर तथा अपने पुत्रों को त्यागकर दुर्गम वन में जाएगी? ॥6॥
 
Which woman will go to an inaccessible forest like a fool, abandoning this great wealth which is of great benefit to the sons and forsaking her sons? ॥ 6॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.