श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 18: पाण्डवोंका स्त्रियोंसहित निराश लौटना, कुन्तीसहित गान्धारी और धृतराष्ट्र आदिका मार्गमें गंगातटपर निवास करना  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  15.18.5 
युधिष्ठिरस्य जननी देवी साधु निवर्त्यताम्।
यथा युधिष्ठिर: प्राह तत् सर्वं सत्यमेव हि॥ ५॥
 
 
अनुवाद
गांधारी और विदुर! तुम लोग युधिष्ठिर की माता कुन्तीदेवी को समझाकर वापस भेज दो। युधिष्ठिर जो कुछ कह रहे हैं, वह ठीक है।॥5॥
 
‘Gandhari and Vidur! You guys should convince Yudhishthira's mother Kuntidevi and send her back. Whatever Yudhishthira is saying is correct.॥ 5॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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