श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 18: पाण्डवोंका स्त्रियोंसहित निराश लौटना, कुन्तीसहित गान्धारी और धृतराष्ट्र आदिका मार्गमें गंगातटपर निवास करना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  15.18.11 
तस्यास्तांतु स्थितिं ज्ञात्वा व्यवसायं कुरुस्त्रिय:।
निवृत्तांश्च कुरुश्रेष्ठान् दृष्ट्वा प्ररुरुदुस्तदा॥ ११॥
 
 
अनुवाद
कुन्ती की यह दशा और वन में रहने का उसका निश्चय जानकर, कौरवों और श्रेष्ठ पाण्डवों को निराश लौटते देख, कुरुकुल की सारी स्त्रियाँ फूट-फूटकर रोने लगीं॥11॥
 
Knowing this condition of Kunti and her determination to stay in the forest, seeing Kurus and the best Pandavas returning disappointed, all the women of Kurukula started crying bitterly. 11॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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