श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 16: धृतराष्ट्रका पुरवासियोंको लौटाना और पाण्डवोंके अनुरोध करनेपर भी कुन्तीका वनमें जानेसे न रुकना  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  15.16.4 
वनं गन्तुं च विदुरो राज्ञा सह कृतक्षण:।
संजयश्च महामात्र: सूतो गावल्गणिस्तथा॥ ४॥
 
 
अनुवाद
विदुर और गवलगणकुमार महामात्र सूत संजय ने राजा के साथ वन में जाने का निश्चय किया था ॥4॥
 
Vidur and Gavalgankumar Mahamatra Suta Sanjay had decided to go to the forest with the king. 4॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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