श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 16: धृतराष्ट्रका पुरवासियोंको लौटाना और पाण्डवोंके अनुरोध करनेपर भी कुन्तीका वनमें जानेसे न रुकना  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  15.16.3 
स वर्द्धमानद्वारेण निर्ययौ गजसाह्वयात्।
विसर्जयामास च तं जनौघं स मुहुर्मुहु:॥ ३॥
 
 
अनुवाद
राजा धृतराष्ट्र ने हस्तिनापुर को वर्धमान नामक द्वार से प्रस्थान किया और वहाँ पहुँचकर अपने साथ आए हुए लोगों से बार-बार अनुरोध करके विदा ली॥ 3॥
 
King Dhritarashtra left Hastinapur through the gate called Vardhaman. After reaching there, he repeatedly requested and bid farewell to the people who had come with him.॥ 3॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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