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श्लोक 15.16.22  |
क्व सा बुद्धिरियं चाद्य भवत्या यच्छ्रुतं मया।
क्षत्रधर्मे स्थितिं चोक्त्वा तस्याश्च्यवितुमिच्छसि॥ २२॥ |
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अनुवाद |
कहाँ गई तुम्हारी बुद्धि और कहाँ गया तुम्हारा यह विचार? मैंने तुम्हारे विषय में जो विचार सुने हैं, उनके अनुसार हम लोगों को क्षत्रिय-धर्म में दृढ़ रहने का उपदेश देकर तुम स्वयं ही उससे च्युत होना चाहते हो॥ 22॥ |
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Where is your wisdom and where is this thought of yours? According to the thoughts I have heard of you, by preaching to us to remain steadfast in the kshatriya-dharma, you yourself want to fall from it.॥ 22॥ |
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