श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 12: अर्जुनका भीमको समझाना और युधिष्ठिरका धृतराष्ट्रको यथेष्ट धन देनेकी स्वीकृति प्रदान करना  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  15.12.9 
किं तु मद्वचनाद् ब्रूहि राजानं भरतर्षभ।
यद् यदिच्छसि यावच्च गृह्यतां मद्‍गृहादिति॥ ९॥
 
 
अनुवाद
मेरी ओर से राजा धृतराष्ट्र से कहो, ‘हे भरतश्रेष्ठ! जो कुछ भी, जितनी मात्रा में चाहिए, मेरे घर से ले लो।’
 
‘On my behalf, please tell King Dhritarashtra, ‘O best of the Bharatas! Whatever you want, in whatever quantity, take it from my house.’
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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