श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 10: प्रजाकी ओरसे साम्ब नामक ब्राह्मणका धृतराष्ट्रको सान्त्वनापूर्ण उत्तर देना  »  श्लोक 49-50h
 
 
श्लोक  15.10.49-50h 
स राजन् मानसं दु:खमपनीय युधिष्ठिरात्॥ ४९॥
कुरु कार्याणि धर्म्याणि नमस्ते पुरुषर्षभ।
 
 
अनुवाद
अतः हे महापुरुष! युधिष्ठिर के कारण उत्पन्न हुए अपने मानसिक शोक को दूर करके धर्मकार्य में लग जाइए। समस्त प्रजा आपको नमस्कार करती है।॥49 1/2॥
 
‘Therefore, O great man! Remove your mental sorrow on account of Yudhishthira and engage yourself in religious activities. All the subjects salute you.’॥ 49 1/2॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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