श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 10: प्रजाकी ओरसे साम्ब नामक ब्राह्मणका धृतराष्ट्रको सान्त्वनापूर्ण उत्तर देना  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  15.10.18 
त्यक्ता वयं तु भवता दु:खशोकपरायणा:।
भविष्यामश्चिरं राजन् भवद्‍गुणशतैर्युता:॥ १८॥
 
 
अनुवाद
'राजन्! जब आप हमें त्यागकर चले जाएँगे, तो हम दीर्घकाल तक शोक और शोक में डूबे रहेंगे। आपके सैकड़ों पुण्यों की स्मृति हमें सदैव घेरे रहेगी।'
 
‘King! When you abandon us, leave us and go away, we will be immersed in sorrow and grief for a long time. The memory of your hundreds of virtues will always surround us.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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