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श्लोक 15.10.17  |
यथा ब्रवीति धर्मात्मा मुनि: सत्यवतीसुत:।
तथा कुरु महाराज स हि न: परमो गुरु:॥ १७॥ |
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अनुवाद |
महाराज! सत्यवती के पुत्र महर्षि व्यास जैसा उपदेश देते हैं वैसा ही करो, क्योंकि वे हम सबके परम गुरु हैं॥17॥ |
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Maharaj! Do as the great sage Vyasa, the son of Satyavati, advises you because he is the supreme guru of all of us.॥ 17॥ |
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