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श्लोक 15.10.13  |
राजन् वाक्यं जनस्यास्य मयि सर्वं समर्पितम्।
वक्ष्यामि तदहं वीर तज्जुषस्व नराधिप॥ १३॥ |
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अनुवाद |
हे राजन! हे वीर राजन! यहाँ उपस्थित समस्त लोगों ने अपने विचार प्रकट करने का भार मुझे सौंपा है; अतः मैं उनके विचार आपके समक्ष प्रस्तुत करूँगा। कृपया सुनने की कृपा करें॥13॥ |
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‘O King! O brave king! All the people present here have entrusted the responsibility of expressing their views to me; hence I will present their views to you. Please be kind enough to listen.॥ 13॥ |
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