श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 1: भाइयोंसहित युधिष्ठिर तथा कुन्ती आदि देवियोंके द्वारा धृतराष्ट्र और गान्धारीकी सेवा  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  15.1.19 
आरालिका: सूपकारा रागखाण्डविकास्तथा।
उपातिष्ठन्त राजानं धृतराष्ट्रं यथा पुरा॥ १९॥
 
 
अनुवाद
पूर्वकालकी भाँति उपर्युक्त अवसरोंपर भी रसोईकार्यमें कुशल आराल्यक1, सूपकार2 और रागखण्डविक3 राजा धृतराष्ट्रकी सेवामें उपस्थित थे॥19॥
 
On the above occasions as in the past, Aaralyak1, Soupkar2 and Ragakhandvik3, skilled in kitchen work, were present in the service of King Dhritarashtra.॥ 19॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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