श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 1: भाइयोंसहित युधिष्ठिर तथा कुन्ती आदि देवियोंके द्वारा धृतराष्ट्र और गान्धारीकी सेवा  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  15.1.14 
व्यासश्च भगवान‍् नित्यमासांचक्रे नृपेण ह।
कथा: कुर्वन् पुराणर्षिर्देवर्षिपितृरक्षसाम्॥ १४॥
 
 
अनुवाद
प्राचीन ऋषि भगवान व्यास भी प्रतिदिन उनके पास आकर बैठते थे और उन्हें देवताओं, पितरों और राक्षसों की कथाएँ सुनाया करते थे॥ 14॥
 
The ancient sage Lord Vyasa also used to come and sit near him daily and narrate to him the stories of gods, ancestors and demons.॥ 14॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.