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श्लोक 14.98.d21  |
यस्मादन्नात् प्रजा: सर्वा: कल्पे कल्पेऽसृजत् प्रभु:।
तस्मादन्नात् परं दानं न भूतं न भविष्यति॥ |
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अनुवाद |
सर्वशक्तिमान प्रजापति ने प्रत्येक कल्प में अन्न से ही समस्त प्राणियों की उत्पत्ति की है; अतः अन्न से बढ़कर कोई दान न कभी हुआ है और न कभी होगा। |
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‘The all-powerful Prajapati has created all beings from food in every kalpa; hence there has never been and will never be any gift greater than food. |
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