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पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व
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अध्याय 98: जल-दान, अन्न-दान और अतिथि-सत्कारका माहात्म्य
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श्लोक d18
श्लोक
14.98.d18
चतुर्विधानि भूतानि जंगमानि स्थिराणि च।
अन्नाद् भवन्ति राजेन्द्र सृष्टिरेषा प्रजापते:॥
अनुवाद
‘राजेन्द्र! प्रजापति की सृष्टि वाले चारों प्रकार के जीव-जंतु अन्न से ही उत्पन्न होते हैं।
‘Rajendra! All the four kinds of living and non-living creatures, which are the creation of Prajapati, are born from food only.
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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