श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 83: दक्षिण और पश्चिम समुद्रके तटवर्ती देशोंमें होते हुए अश्वका द्वारका, पञ्चनद एवं गान्धार देशमें प्रवेश  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  14.83.2 
तत: स पुनरावर्त्य हय: कामचरो बली।
आससाद पुरीं रम्यां चेदीनां शुक्तिसाह्वयाम्॥ २॥
 
 
अनुवाद
वह घोड़ा अपनी इच्छानुसार घूमता हुआ वहाँ से लौटकर चेदिराजों की सुन्दर राजधानी में आया, जो शुक्तिपुरी (या महिष्मतीपुरी) के नाम से प्रसिद्ध थी॥2॥
 
That horse, roaming as per its will, returned from there and came to the beautiful capital of the Chedis, which was famous by the name of Shuktipuri (or Mahishmatipuri).॥2॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.