श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 8: संवर्तका मरुत्तको सुवर्णकी प्राप्तिके लिये महादेवजीकी नाममयी स्तुतिका उपदेश और धनकी प्राप्ति तथा मरुत्तकी सम्पत्तिसे बृहस्पतिका चिन्तित होना  »  श्लोक d8
 
 
श्लोक  14.8.d8 
असृजद् यस्तु भूरादीन् सप्तलोकान् सनातनान्।
स्थित: सत्योपरि स्थाणुं तं प्रपद्ये सनातनम्॥
 
 
अनुवाद
मैं उन सनातन शिव की शरण लेता हूँ, जो भौतिक रूप में हैं और जिन्होंने सत्यलोक से ऊपर स्थित होकर पृथ्वी आदि सात सनातन लोकों की रचना की है।
 
I take refuge in the eternal Shiva in the physical form who has created the seven eternal worlds like the earth and the world by being situated above Satyalok.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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