श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 6: नारदजीकी आज्ञासे मरुत्तका उनकी बतायी हुई युक्तिके अनुसार संवर्तसे भेंट करना  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  14.6.31 
स च तं विजने दृष्ट्वा पांसुभि: कर्दमेन च।
श्लेष्मणा चैव राजानं ष्ठीवनैश्च समाकिरत्॥ ३१॥
 
 
अनुवाद
एकांत स्थान पर पहुँचकर राजा को अपने पीछे आते देखकर संवर्त ने उस पर धूल और कीचड़ फेंकी और थूका॥31॥
 
On reaching a secluded place and seeing the king following him, Samvarta threw dust and mud at him and spat on him.॥ 31॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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