श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 6: नारदजीकी आज्ञासे मरुत्तका उनकी बतायी हुई युक्तिके अनुसार संवर्तसे भेंट करना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  14.6.11 
देवर्षिणा समागम्य नारदेन स पार्थिव:।
विधिवत् प्राञ्जलिस्तस्थावथैनं नारदोऽब्रवीत्॥ ११॥
 
 
अनुवाद
देवर्षि नारदजी से मिलकर राजा मरुत रीति के अनुसार हाथ जोड़कर खड़े हो गए। तब नारदजी ने उनसे कहा -॥11॥
 
On meeting with sage Devarshi Narada, king Marut stood with folded hands as per custom. Then Narada ji said to him -॥ 11॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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