श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 6: नारदजीकी आज्ञासे मरुत्तका उनकी बतायी हुई युक्तिके अनुसार संवर्तसे भेंट करना  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  14.6.1 
व्यास उवाच
अत्राप्युदाहरन्तीममितिहासं पुरातनम्।
बृहस्पतेश्च संवादं मरुत्तस्य च धीमत:॥ १॥
 
 
अनुवाद
व्यासजी कहते हैं - हे राजन! इस प्रसंग में बुद्धिमान राजा मरुत और बृहस्पति के बीच हुए प्राचीन वार्तालाप का इतिहास वर्णित है।॥1॥
 
Vyasa says, 'O King! In this context the history of the ancient conversation between the wise king Marut and Brihaspati is mentioned.॥ 1॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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