श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 51: तपस्याका प्रभाव, आत्माका स्वरूप और उसके ज्ञानकी महिमा तथा अनुगीताका उपसंहार  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  14.51.13 
विश्वसृग्भ्यस्तु भूतेभ्यो महाभूतास्तु सर्वश:।
भूतेभ्यश्चापि पञ्चभ्यो मुक्तो गच्छेत् परां गतिम्॥ १३॥
 
 
अनुवाद
इस ब्रह्माण्ड को बनाने वाले समस्त प्राणियों से ऊपर पंच महाभूत हैं। जो इन पंच महाभूतों से मुक्त हो जाता है, वह परम मोक्ष को प्राप्त करता है ॥13॥
 
The five great elements are above all the beings who create this universe. The one who is freed from these five great elements, attains the ultimate salvation. ॥13॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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