श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 46: ब्रह्मचारी, वानप्रस्थी और संन्यासीके धर्मका वर्णन  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  14.46.4 
द्विकालमग् न िं जुह्वान: शुचिर्भूत्वा समाहित:।
धारयीत सदा दण्डं बैल्वं पालाशमेव वा॥ ४॥
 
 
अनुवाद
दोनों समय पवित्र एवं एकाग्र मन से अग्नि में हवन करें। अपने साथ हमेशा बेल या पलाश का डंडा रखें।
 
With a pure and concentrated mind, perform the havan in the fire at both the times. Always carry a staff of bael or palash.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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