वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्री महाभारत
»
पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व
»
अध्याय 46: ब्रह्मचारी, वानप्रस्थी और संन्यासीके धर्मका वर्णन
»
श्लोक 13
श्लोक
14.46.13
समूलफलभिक्षाभिरर्चेदतिथिमागतम्।
यद् भक्ष्यं स्यात् ततो दद्याद् भिक्षां नित्यमतन्द्रित:॥ १३॥
अनुवाद
यदि कोई अतिथि आए तो उसे फल-मूल देकर उसका स्वागत करो। कभी आलस्य मत करो। जो भी भोजन तुम्हारे पास हो, उसमें से अतिथि को दान दो। 13.
If a guest comes, welcome him by offering him fruits and roots. Never be lazy. Give alms to the guest from whatever food you have. 13.
✨ ai-generated
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.