श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 4: मरुत्तके पूर्वजोंका परिचय देते हुए व्यासजीके द्वारा उनके गुण, प्रभाव एवं यज्ञका दिग्दर्शन  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  14.4.21 
कर्मणा मनसा वाचा दमेन प्रशमेन च।
मनांस्याराधयामास प्रजानां स महीपति:॥ २१॥
 
 
अनुवाद
राजा अपने अविकसित मन, वाणी, कर्म, इन्द्रिय-संयम और मनोनिग्रह द्वारा अपनी प्रजा के मन को संतुष्ट करता था ॥21॥
 
The king used to satisfy the minds of his subjects through his undeveloped mind, speech, actions, control of senses and mental control. 21॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.