श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 4: मरुत्तके पूर्वजोंका परिचय देते हुए व्यासजीके द्वारा उनके गुण, प्रभाव एवं यज्ञका दिग्दर्शन  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  14.4.17 
तस्य कारन्धम: पुत्रस्त्रेतायुगमुखेऽभवत्।
इन्द्रादनवर: श्रीमान् देवैरपि सुदुर्जय:॥ १७॥
 
 
अनुवाद
त्रेतायुग के प्रारम्भ में करंधम नामक एक तेजस्वी पुत्र हुआ, जो करंधम नाम से प्रसिद्ध था। वह इन्द्र से किसी भी प्रकार कम नहीं था। देवताओं के लिए भी उसे पराजित करना अत्यन्त कठिन था। 17॥
 
At the beginning of Tretayuga, Karandham had a radiant son, who was called Karandham. He was not inferior to Indra in any way. It was very difficult even for the gods to defeat him. 17॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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