श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 4: मरुत्तके पूर्वजोंका परिचय देते हुए व्यासजीके द्वारा उनके गुण, प्रभाव एवं यज्ञका दिग्दर्शन  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  14.4.14 
न चैनमभिहन्तुं ते शक्नुवन्ति बलक्षये।
सम्यग्वृत्तो हि राजा स धर्मनित्यो युधिष्ठिर॥ १४॥
 
 
अनुवाद
युधिष्ठिर! सेना और धन को हारकर भी आक्रमणकारी शत्रु सुवर्चा को नहीं मार सके, क्योंकि वह राजा सदैव धर्मपरायण और सदाचारी था॥14॥
 
Yudhishthira! Even after losing the army and the treasury, the attacking enemies could not kill Suvarcha because that king was always devoted to Dharma and had good conduct.॥ 14॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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