श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 4: मरुत्तके पूर्वजोंका परिचय देते हुए व्यासजीके द्वारा उनके गुण, प्रभाव एवं यज्ञका दिग्दर्शन  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  14.4.10 
स पितुर्विक्रियां दृष्ट्वा राज्यान्निरसनं च तत्।
नियतो वर्तयामास प्रजाहितचिकीर्षया॥ १०॥
 
 
अनुवाद
अपने पिता की दुर्दशा और राज्य से निकाले जाने को देखकर सुवर्चा सावधान हो गया और प्रजा के कल्याण की इच्छा से सबके साथ अच्छा व्यवहार करने लगा ॥10॥
 
Seeing his father's plight and his expulsion from the kingdom, Suvarcha became cautious and started behaving well with everyone with the desire for the welfare of the people. 10॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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