वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्री महाभारत
»
पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व
»
अध्याय 32: ब्राह्मणरूपधारी धर्म और जनकका ममत्वत्यागविषयक संवाद
»
श्लोक 24
श्लोक
14.32.24
देवेभ्यश्च पितृभ्यश्च भूतेभ्योऽतिथिभि: सह।
इत्यर्थं सर्व एवेति समारम्भा भवन्ति वै॥ २४॥
अनुवाद
मेरे समस्त कार्य देवताओं, पितरों, भूतों और अतिथियों के निमित्त ही प्रारम्भ होते हैं।
All my activities are initiated for the sake of the gods, ancestors, ghosts and guests. 24.
✨ ai-generated
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.