श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 32: ब्राह्मणरूपधारी धर्म और जनकका ममत्वत्यागविषयक संवाद  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  14.32.16 
कस्येदमिति कस्य स्वमिति वेदवचस्तथा।
नाध्यगच्छमहं बुद्‍ध्या ममेदमिति यद् भवेत्॥ १६॥
 
 
अनुवाद
वेद भी कहता है, "यह किसका है? यह धन किसका है? (यह किसी का नहीं है)" इसलिए जब मैं मन से विचार करता हूँ, तो मुझे ऐसी कोई वस्तु नहीं मिलती जिसे मैं अपना कह सकूँ ॥16॥
 
The Veda also says, "Whose is this? Whose wealth is this? (It belongs to no one)" Therefore, when I think with my mind, I do not find any such thing that I can call mine. ॥ 16॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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