श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 31: राजा अम्बरीषकी गायी हुई आध्यात्मिक स्वराज्यविषयक गाथा  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  14.31.6 
स निगृह्यात्मनो दोषान् साधून् समभिपूज्य च।
जगाम महतीं सिद्धिं गाथाश्चेमा जगाद ह॥ ६॥
 
 
अनुवाद
उन्होंने अपने दोषों का दमन किया और सद्गुणों का आदर किया, इसी से उन्हें महान् सफलता प्राप्त हुई और उन्होंने यह कथा गाई -॥6॥
 
He suppressed his faults and respected the good qualities. Due to this, he achieved great success and he sang this story -॥ 6॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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