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श्लोक 14.31.10  |
लोभाद्धि जायते तृष्णा ततश्चिन्ता प्रवर्तते।
स लिप्यमानो लभते भूयिष्ठं राजसान् गुणान्।
तदवाप्तौ तु लभते भूयिष्ठं तमसान् गुणान्॥ १०॥ |
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अनुवाद |
लोभ से कामना उत्पन्न होती है और कामना से चिंता उत्पन्न होती है। लोभी मनुष्य पहले बहुत से राजसिक गुणों को प्राप्त करता है और उन्हें प्राप्त करने के बाद वह बहुत अधिक मात्रा में तामसिक गुणों को भी प्राप्त कर लेता है।॥10॥ |
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‘Greed gives rise to desire and desire gives rise to worry. A greedy person first acquires many rajasic qualities and after acquiring them, he also acquires tamasic qualities in large quantities.॥10॥ |
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