श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 3: व्यासजीका युधिष्ठिरको अश्वमेध यज्ञके लिये धनकी प्राप्तिका उपाय बताते हुए संवर्त और मरुत्तका प्रसंग उपस्थित करना  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  14.3.7 
यज्ञैरेव महात्मानो बभूवुरधिका: सुरा:।
ततो देवा: क्रियावन्तो दानवानभ्यधर्षयन्॥ ७॥
 
 
अनुवाद
यज्ञों के द्वारा ही महाहृदयी देवता अधिक महत्त्व प्राप्त हुए हैं और यज्ञों के द्वारा ही कर्मशील देवताओं ने दैत्यों को परास्त किया है ॥7॥
 
It is through yajnas that the great-hearted gods have become more important, and it is through yajnas that the active gods have defeated the demons. ॥ 7॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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