श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 3: व्यासजीका युधिष्ठिरको अश्वमेध यज्ञके लिये धनकी प्राप्तिका उपाय बताते हुए संवर्त और मरुत्तका प्रसंग उपस्थित करना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  14.3.16 
दुर्योधनेन पृथिवी क्षयिता वित्तकारणात्।
कोशश्चापि विशीर्णोऽसौ धार्तराष्ट्रस्य दुर्मते:॥ १६॥
 
 
अनुवाद
दुर्योधन ने धन के लोभ से सम्पूर्ण जगत् में विनाश मचा दिया; परन्तु धन मिलना तो दूर, उस मूर्ख का कोष भी खाली हो गया॥16॥
 
Duryodhan caused destruction in the whole world out of greed for wealth; but far from getting the wealth, that foolish man's treasury also became empty.॥ 16॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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