श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 3: व्यासजीका युधिष्ठिरको अश्वमेध यज्ञके लिये धनकी प्राप्तिका उपाय बताते हुए संवर्त और मरुत्तका प्रसंग उपस्थित करना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  14.3.11 
युधिष्ठिर उवाच
असंशयं वाजिमेध: पावयेत् पृथिवीमपि।
अभिप्रायस्तु मे कश्चित् तं त्वं श्रोतुमिहार्हसि॥ ११॥
 
 
अनुवाद
युधिष्ठिर बोले, "हे ब्राह्मण! इसमें कोई संदेह नहीं है कि अश्वमेध यज्ञ से सम्पूर्ण पृथ्वी पवित्र हो जाती है। किन्तु इस विषय में मुझे एक बात कहनी है। कृपया उसे यहाँ सुनें।"
 
Yudhishthira said, "O Brahmin! There is no doubt that the Ashwamedha Yagna can purify the entire earth. But I have a point to make regarding this. Please listen to it here."
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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