श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 3: व्यासजीका युधिष्ठिरको अश्वमेध यज्ञके लिये धनकी प्राप्तिका उपाय बताते हुए संवर्त और मरुत्तका प्रसंग उपस्थित करना  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  14.3.10 
यथा च भरतो राजा दौष्यन्ति: पृथिवीपति:।
शाकुन्तलो महावीर्यस्तव पूर्वपितामह:॥ १०॥
 
 
अनुवाद
और जिस प्रकार तुम्हारे महान पूर्वज महाबली दुष्यंतकुमार शकुन्तलनंदन पृथ्वी के राजा भरत ने यज्ञ किया था, उसी प्रकार तुम भी यज्ञ करो ॥10॥
 
And just as your great forefather, the mighty Dushyantkumar Shakuntala Nandan, the king of the earth, Bharat, had performed the yagya, you too should perform the yagya in the same way. 10॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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