श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 28: ज्ञानी पुरुषकी स्थिति तथा अध्वर्यु और यतिका संवाद*  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  14.28.17 
अहिंसेति प्रतिज्ञेयं यदि वक्ष्याम्यत: परम्।
शक्यं बहुविधं कर्तुं भवता कार्यदूषणम्॥ १७॥
 
 
अनुवाद
इसके बाद भी यदि मुझे कुछ कहना है तो मैं केवल इतना ही कह सकता हूँ कि सभी लोग यह प्रतिज्ञा करें कि ‘मैं अहिंसा धर्म का पालन करूँगा।’ अन्यथा तुम नाना प्रकार के दुष्कर्म कर सकते हो॥17॥
 
Even after this, if I have to say something, I can only say that everybody should take a pledge that 'I will follow the religion of non-violence.' Otherwise you may commit various kinds of wrongdoings.॥ 17॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.