श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 27: अध्यात्मविषयक महान् वनका वर्णन  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  14.27.9 
सुवर्णानि द्विवर्णानि पुष्पाणि च फलानि च।
सृजन्त: पादपास्तत्र व्याप्य तिष्ठन्ति तद् वनम्॥ ९॥
 
 
अनुवाद
वहाँ अन्य वृक्ष सुन्दर द्विवर्णी पुष्प और फल उत्पन्न करते हुए उस वन को सब ओर से आच्छादित कर रहे हैं ॥9॥
 
There the other trees, producing beautiful two-coloured flowers and fruits, have covered the forest on all sides. ॥ 9॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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