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श्लोक 14.27.24  |
एतदेवेदृशं पुण्यमरण्यं ब्राह्मणा विदु:।
विदित्वा चानुतिष्ठन्ति क्षेत्रज्ञेनानुदर्शिता॥ २४॥ |
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अनुवाद |
ऐसे गुणों वाले ब्राह्मण इस पवित्र वन को जानते हैं और तत्वदर्शी के उपदेश से प्रबुद्ध हुए प्रबुद्ध लोग शास्त्रों से उस ब्रह्मवान् को जानकर शम आदि साधनों के अनुष्ठान में लग जाते हैं॥24॥ |
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Brahmins with such qualities know this sacred forest and enlightened people, enlightened by the teachings of Tatvadarshi, after knowing that Brahmavan from the scriptures, engage in the rituals of Sham etc. means. 24॥ |
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इति श्रीमहाभारते आश्वमेधिके पर्वणि अनुगीतापर्वणि ब्राह्मणगीतासु सप्तविंशोऽध्याय:॥ २७॥
इस प्रकार श्रीमहाभारत आश्वमेधिकपर्वके अन्तर्गत अनुगीतापर्वमें ब्राह्मणगीतासम्बन्धी सत्ताईसवाँ अध्याय पूरा हुआ॥ २७॥
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