श्री महाभारत » पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व » अध्याय 27: अध्यात्मविषयक महान् वनका वर्णन » श्लोक 23 |
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| | श्लोक 14.27.23  | शममप्यत्र शंसन्ति विद्यारण्यविदो जना:।
तदारण्यमभिप्रेत्य यथाधीरभिजायत॥ २३॥ | | | अनुवाद | विद्या के प्रभाव से ही ब्रह्मरूपी वन का स्वरूप जाना जा सकता है। जो लोग इसे जानते हैं, वे इस वन में प्रवेश करने के उद्देश्य से शम (मनोनिग्रह) की ही स्तुति करते हैं, जो बुद्धि को स्थिर करने वाला है। 23॥ | | It is only through the influence of Vidya (knowledge) that the form of the forest in the form of Brahma can be understood. People who know this, for the purpose of entering this forest, praise Sham (Manonigraha) only, which stabilizes the intellect. 23॥ |
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