श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 27: अध्यात्मविषयक महान् वनका वर्णन  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  14.27.18 
तत्रैव प्रतितिष्ठन्ति पुनस्तत्रोपयन्ति च।
सप्त सप्तर्षय: सिद्धा वसिष्ठप्रमुखै: सह॥ १८॥
 
 
अनुवाद
वसिष्ठ आदि सात सिद्ध (सात ऋषि) उसी वन में विलीन हो जाते हैं और उसी वन से उत्पन्न होते हैं ॥18॥
 
The seven Siddhas (seven sages) along with Vasishtha etc. merge in the same forest and are born from the same forest. ॥18॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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