श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 27: अध्यात्मविषयक महान् वनका वर्णन  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  14.27.17 
सप्त स्त्रियस्तत्र वसन्ति सद्य-
स्त्ववाङ्‍‍मुखा भानुमत्यो जनित्र्य:।
ऊर्ध्वं रसानाददते प्रजाभ्य:
सर्वान् यथा सत्यमनित्यता च॥ १७॥
 
 
अनुवाद
वहाँ सात स्त्रियाँ रहती हैं, जो लज्जा से अपना मुख नीचा किए रहती हैं। वे चेतना के प्रकाश से प्रकाशित हैं। वे सबकी माता हैं और उस वन में रहने वाले मनुष्यों से वे सभी प्रकार के उत्तम सुख प्राप्त करती हैं, जैसे अनित्यता सत्य को प्राप्त करती है॥17॥
 
Seven women live there, who keep their faces lowered in shame. They are illuminated by the light of consciousness. They are the mother of all and they receive all kinds of good pleasures from the people living in that forest in the same way as impermanence receives truth.॥ 17॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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