श्री महाभारत » पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व » अध्याय 27: अध्यात्मविषयक महान् वनका वर्णन » श्लोक 12 |
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| | श्लोक 14.27.12  | बहून्यव्यक्तवर्णानि पुष्पाणि च फलानि च।
विसृजन्तौ महावृक्षौ तद् वनं व्याप्य तिष्ठत:॥ १२॥ | | | अनुवाद | वहाँ दो विशाल वृक्ष स्थित हैं, जो अनेक प्रकार के अवर्णनीय रंगों के पुष्प और फल उत्पन्न करते हुए उस वन को आच्छादित करते हैं ॥12॥ | | Two huge trees are situated there, producing flowers and fruits of many inexpressible colours, covering the forest. ॥ 12॥ |
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