श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 27: अध्यात्मविषयक महान् वनका वर्णन  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  14.27.11 
सुरभीण्येकवर्णानि पुष्पाणि च फलानि च।
सृजन्त: पादपास्तत्र व्याप्य तिष्ठन्ति तद् वनम्॥ ११॥
 
 
अनुवाद
चौथा वृक्ष एक ही रंग के सुगन्धित फूल और फल उत्पन्न करता है और सम्पूर्ण वन में फैला रहता है ॥11॥
 
The fourth tree produces fragrant flowers and fruits of only one colour and is spread all over the forest. ॥ 11॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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