श्री महाभारत » पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व » अध्याय 27: अध्यात्मविषयक महान् वनका वर्णन » श्लोक 10 |
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| | श्लोक 14.27.10  | सुरभीणि द्विवर्णानि पुष्पाणि च फलानि च।
सृजन्त: पादपास्तत्र व्याप्य तिष्ठन्ति तद् वनम्॥ १०॥ | | | अनुवाद | वहाँ तीसरा वृक्ष स्थित है, जो दो रंग के सुगन्धित पुष्प और फल प्रदान करता है और वन को आच्छादित करता है ॥10॥ | | The third tree is situated there, providing two coloured fragrant flowers and fruits and covering the forest. ॥10॥ |
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