श्री महाभारत » पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व » अध्याय 25: चातुर्होम यज्ञका वर्णन » श्लोक 9 |
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| | श्लोक 14.25.9  | अदन्नन्नान्यथोऽविद्वान् ममत्वेनोपपद्यते।
आत्मार्थे पाचयन्नन्नं ममत्वेनोपहन्यते॥ ९॥ | | | अनुवाद | अज्ञानी मनुष्य भोजन करते समय भी उसमें आसक्त हो जाता है, उसी प्रकार जो मनुष्य अपने लिए भोजन पकाता है, वह भी आसक्ति के दोष से ग्रस्त हो जाता है॥9॥ | | An ignorant person while eating food becomes attached to it. Similarly, a person who cooks food for himself is also affected by the defect of attachment.॥ 9॥ |
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