श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 25: चातुर्होम यज्ञका वर्णन  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  14.25.6 
घ्राता भक्षयिता द्रष्टा वक्ता श्रोता च पञ्चम:।
मन्ता बोद्धा च सप्तैते विज्ञेया: कर्तृहेतव:॥ ६॥
 
 
अनुवाद
जो सूँघता है, जो खाता है, जो देखता है, जो बोलता है, जो सुनता है, जो मनन करता है और जो निश्चयात्मक ज्ञान को प्राप्त करता है - ये सात कर्तारूप कारण हैं॥6॥
 
The one who smells, the one who eats, the one who sees, the one who speaks, the fifth one who listens, the one who contemplates and the one who attains definite knowledge - these are the seven doer-like causes.॥ 6॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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