श्री महाभारत » पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व » अध्याय 25: चातुर्होम यज्ञका वर्णन » श्लोक 3 |
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| | श्लोक 14.25.3  | करणं कर्म कर्ता च मोक्ष इत्येव भाविनि।
चत्वार एते होतारो यैरिदं जगदावृतम्॥ ३॥ | | | अनुवाद | भाविनी! करण, कर्म, कर्ता और मोक्ष - ये चार हैं जिनसे यह सम्पूर्ण जगत आवृत है॥3॥ | | Bhaavini! Karan, karma, doer and moksha - these are the four by which this whole universe is covered. ॥ 3॥ |
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