श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 23: प्राण, अपान आदिका संवाद और ब्रह्माजीका सबकी श्रेष्ठता बतलाना  »  श्लोक d1-d2h
 
 
श्लोक  14.23.d1-d2h 
(ब्राह्मण उवाच
(तत: समान: प्रालिल्ये पुनश्च प्रचचार ह।
प्राणापानावुदानश्च व्यानश्चैव तमब्रुवन्॥
न त्वं समान श्रेष्ठोऽसि व्यान एव वशे तव।)
 
 
अनुवाद
ब्राह्मण कहते हैं- ऐसा कहकर सामन कुछ देर तक विचार में मग्न रहा और फिर पहले की भाँति चलने लगा। उस समय प्राण, अपान, व्यान और उदान ने उससे कहा- 'सामन! तुम हमसे श्रेष्ठ नहीं हो, केवल व्यान ही तुम्हारे अधीन है।'
 
The Brahmins say- After saying this, Saman became absorbed in thought for a while and then started walking again as before. At that time Prana, Apana, Vyana and Udana said to him- 'Saman! You are not superior to us, only Vyana is under your control'.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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