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श्लोक 14.23.22  |
सर्वे स्वविषये श्रेष्ठा: सर्वे चान्योन्यधर्मिण:।
इति तानब्रवीत् सर्वान् समवेतान् प्रजापति:॥ २२॥ |
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अनुवाद |
सब लोग अपने-अपने स्थान पर श्रेष्ठ हैं और सबका धर्म एक-दूसरे पर आश्रित है।’ इस प्रकार प्रजापति ने वहाँ एकत्रित हुए समस्त प्राणियों से पुनः कहा-॥22॥ |
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Everyone is the best in his own place and everyone's religion is dependent on each other.' In this manner Prajapati again said to all the beings gathered there -॥ 22॥ |
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