श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 23: प्राण, अपान आदिका संवाद और ब्रह्माजीका सबकी श्रेष्ठता बतलाना  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  14.23.22 
सर्वे स्वविषये श्रेष्ठा: सर्वे चान्योन्यधर्मिण:।
इति तानब्रवीत् सर्वान् समवेतान् प्रजापति:॥ २२॥
 
 
अनुवाद
सब लोग अपने-अपने स्थान पर श्रेष्ठ हैं और सबका धर्म एक-दूसरे पर आश्रित है।’ इस प्रकार प्रजापति ने वहाँ एकत्रित हुए समस्त प्राणियों से पुनः कहा-॥22॥
 
Everyone is the best in his own place and everyone's religion is dependent on each other.' In this manner Prajapati again said to all the beings gathered there -॥ 22॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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