श्री महाभारत  »  पर्व 14: आश्वमेधिक पर्व  »  अध्याय 22: मन-बुद्धि और इन्द्रियरूप सप्त होताओंका, यज्ञ तथा मन-इन्द्रिय-संवादका वर्णन  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  14.22.9 
घ्राणं जिह्वा ततश्चक्षु: श्रोत्रं बुद्धिर्मनस्तथा।
न स्पर्शानधिगच्छन्ति त्वक् च तानधिगच्छति॥ ९॥
 
 
अनुवाद
नाक, जीभ, आँख, कान, बुद्धि और मन स्पर्श का अनुभव नहीं कर सकते; परन्तु त्वचा उसे अनुभव कर सकती है॥9॥
 
The nose, tongue, eyes, ears, intellect and mind cannot experience touch; but the skin can sense it.॥ 9॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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